सोमवार, 19 अक्टूबर 2015

जैसे अल्लाह और ईश्वर में फर्क समझने वाला आलिम, मौलवी, पीर, संत, ज्ञानी या महात्मा नहीं हो सकता… वैसे ही माँ के ऊपर लुभावनी तुकबन्दी करके कोई शख़्स महान मातृभक्त नहीं हो जाता, जब तक उसे दूसरों की माँओं में भी अपनी माँ न नज़र आये… सिर्फ़ अपने और अपनों को देखने वाले तो खुदगर्ज़ अथवा जानवर ही होते हैं… इंसान तो वह है जो दूसरों के लिए जिए… आपके मुकाम तो मज़हब के नाम पर दुनिया भर में अनगिनत हैं, पुरस्कार क्या देश छोड़कर भी वहाँ चाहे तो जा सकते हैं… लेकिन वो अमन पसंद हिन्दू जो तबेले-आज़म और ओवैसियाई फ़ौज़ तथा ठाकरे-तोगड़ियाई फौजों के बीच पिस रहे हैं वो कहाँ जाएँ… प्लीज़ बताइये न कौन सा मुल्क होगा उनका भागकर शरण लेने के लिए…? भारत माता, गंगा मैय्या, धरती माता और गौमाता की मान्यता वाले निरीह हिन्दू अपनी इन माताओं और मान्यताओं की रक्षा के लिए कहाँ चले जाएँ…?


अंग्रेजी भाषा में कोई कोई शब्द बहुत जानदार है ऐसा ही एक शब्द है टर्नकोट।
रात को सोये तो शिया ,
सुबह उठे तो सुन्नी ,
 ...अधिक देखें
शिव प्रताप सिंह श्रीनेत
ऐसा क्या हुआ की मुल्ला जी हप्ते भर में पलट गए ??
कीमत बढ़ने का इंतज़ार कर रहें थे शायद ??
मुरारि पचलंगिया को यह पसंद है.
टिप्पणियाँ
Virendra Sharma
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अंधे के आगे रोये ,
अपने दीदे खोये।
D.k. Bajpai
वाह ज़नाब राणा, बढ़िया किया ड्रामा… आपने ABN न्यूज़ के लाइव शो में जाकर पुरस्कार नहीं लौटाया बल्कि मुल्क के करोड़ो प्रसंशकों का प्यार, ऐतबार, भरोसा ठुकरा दिया… उन प्रसंशकों का जिनमें अधिकतर मज़हब से ग़ैर-मुसलमान हैं... हुज़ूर, आज़ादी के बाद से कुर्सी-विलासियों द्वारा सुनियोजित असंख्य दंगों में हज़ारों अख़लाक़ मरे होंगे तो हज़ारों रामदीन भी… सन 1984 के कांग्रेस-सिख दंगों में या फिर कश्मीर में गैर-मुस्लिमों के क़त्ले-आम में हज़ारों हताहत हुए और सामूहिक निर्वासित भी… लेकिन आप का ज़मीर कभी नहीं जागा… अचानक एक भारतीय मुसलमान अख़लाक़ की कुछ अवैद्यनाथी और उद्धवी हिन्दू सिरफ़िरों द्वारा हत्या ने आपका सब्र खत्म कर दिया और आपके अंदर का छुपा आज़मी और ओवैसियाई मुसलमान ABP न्यूज़ चैनल पर बेपर्दा हो गया… काश आप भी क़लाम लिखने की बजाय खुद "क़लाम" बनते तो शायद 125 करोड़ इंसानों के पीर हो जाते…
ज़नाब आप अहसान जताते हैं कि मुल्क़ बटवारे के वक़्त आपके पुरखे हिन्दुस्तान में रह गए… हुज़ूर ज़रा ये भी ख़ुलासा करिये कि जो करोड़ों ग़ैर-मुसलमान क़ायदे-आज़म के पाक-ऐलानों पर ऐतबार करके पाकिस्तान में रह गए, उनका क्या हश्र हुआ और मर-मर कर कितने बचे हैं तिल-तिल कर मरने के लिए… काश आप आज भी हिन्दू होते तो आपको समझ में आता कि इस दुनिया में सबसे ज्यादा अगर किसी ने कुछ खोया है तो शांति पसंद हिन्दुओं ने… अपने विशाल मुल्क़ की हुकूमत खोयी… आठ सौ साल ज़िल्लत और जज़िया वाली गुलामी झेली… अनगिनत हिन्दुओं-सिखों का कत्ले आम झेला… अनगिनत हिन्दुओं का इस्लाम और ईसाइयत क़ुबूल करना झेला… बहू-बेटियों की इज़्ज़तों का खिलवाड़ झेला… अनगिनत धार्मिक स्थल और धार्मिक साहित्य खोया… संस्कृति खोयी, सांस्कृतिक विरासतें-धरोहरें खोईं… और जब मुल्क़ आज़ाद हुआ तो मज़हब के नाम पर मुल्क की जमीन, दिलों और इंसानों का बटवारा झेला…
फिर भी अमन पसंद हिन्दू कौम का ही जिगरा है कि बंटवारे के बाद बचे-खुचे टूट चुके हिन्दुस्तान ने सभी तरह की मज़हबी अक़्लीयतों को अपने दिल में समेट लिया… सभी मज़हबी बहुसंख्यकों-अल्पसंख्यकों को समान अवसर, समान आज़ादी दी… बल्कि दुनिया में दूसरे नम्बर की तादाद रखने वाले मुसलमानों को अल्पसंख्यकों का सम्मान और विशेषाधिकार दिया… आज़ाद हिन्दुस्तान में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्र/राज्य के मंत्रियों समेत सभी ओहदों पर नवाज़ा… अभिनय, फिल्म, नृत्य, गीत, संगीत, ग़ज़ल, शायरी, खेल इत्यादि के क्षेत्र में आये मुसलमानों को फर्श से अर्श तक पहुंचाने में उनके करोड़ों कदरदानों में अधिकाँश गैर-मुस्लिम हैं… लेकिन बदले में हिन्दू कौम को आपसे क्या मिला…? कट्टर मुस्लिम आक्रमणकर्ताओं द्वारा कब्जाए गए धर्म-स्थलों के झगड़े…? साइंस के ज़माने में कुकुरमुत्ते की तरह फैलते मज़हबी तालीम देते मदरसे…? अपनी कौम को वोटबैंक बनाकर अपने लिए विशेष रियायतों, स्वार्थों और लाभों की खातिर धूर्त-लम्पट नेताओं से सौदा करते इमाम-मौलवी…?
जैसे अल्लाह और ईश्वर में फर्क समझने वाला आलिम, मौलवी, पीर, संत, ज्ञानी या महात्मा नहीं हो सकता… वैसे ही माँ के ऊपर लुभावनी तुकबन्दी करके कोई शख़्स महान मातृभक्त नहीं हो जाता, जब तक उसे दूसरों की माँओं में भी अपनी माँ न नज़र आये… सिर्फ़ अपने और अपनों को देखने वाले तो खुदगर्ज़ अथवा जानवर ही होते हैं… इंसान तो वह है जो दूसरों के लिए जिए… आपके मुकाम तो मज़हब के नाम पर दुनिया भर में अनगिनत हैं, पुरस्कार क्या देश छोड़कर भी वहाँ चाहे तो जा सकते हैं… लेकिन वो अमन पसंद हिन्दू जो तबेले-आज़म और ओवैसियाई फ़ौज़ तथा ठाकरे-तोगड़ियाई फौजों के बीच पिस रहे हैं वो कहाँ जाएँ… प्लीज़ बताइये न कौन सा मुल्क होगा उनका भागकर शरण लेने के लिए…? भारत माता, गंगा मैय्या, धरती माता और गौमाता की मान्यता वाले निरीह हिन्दू अपनी इन माताओं और मान्यताओं की रक्षा के लिए कहाँ चले जाएँ…?
आपकी माँ तो माँ है, लेकिन दूसरों की माँ आपके लिए सिर्फ़ एक तमाशा… आपकी लिखी माँ वाली जो लाइनें मेरे दिल में बसी थीं, वो मैंने आपके बेपर्दा होने परआपको समूची वापस की… जाइए, सडकों पर लोगों को समझाइये कि आपका मज़हब खतरे में है, उसे गाय से खतरा है… अगला ज़िहाद गाय के खिलाफ। …‪#‎संतासुर‬

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