शुक्रवार, 30 अक्टूबर 2015

बिहार के चुनावी समर पर पढ़िए :डॉ. वागीश मेहता जी की रचना मुख में आ बैठा शैतान , वाणी पर जिन्ना का जिन्न , इनसे बचना मित्र अभिन्न। (२) घूम रहे ठग अपने अपने , ऐसा बना महाठगबंधन , भीतर से चित महामलिन।

बिहार के चुनावी समर पर पढ़िए :डॉ. वागीश मेहता जी की रचना

मुख में आ बैठा शैतान ,

वाणी पर जिन्ना का जिन्न ,

इनसे बचना मित्र अभिन्न।
           (२)
घूम रहे ठग अपने अपने ,

ऐसा बना महाठगबंधन ,

भीतर से चित महामलिन।

         (३)

तैतीस कोटि देव हैं साक्षी ,

चारा चोर  घोटाले तैतीस ,

कथनी करनी इनकी भिन्न।

        (४)

काश कहीं ऐसा न हो ,

जीत यदि न मिली साफ़ तो ,

रोयेंगे मिल दीन विपन्न।
         (५)
तैतीस कोटि देव हैं साक्षी ,

चारा चोर घोटाले तैतीस ,

कथनी करनी भिन्नम -भिन्न।

डॉ। वागीश मेहता
१२१८ ,अर्बन इस्टेट
गुडगाँव ,हरियाणा ,१२२ ००१
भारत 

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