मंगलवार, 20 अक्टूबर 2015

शहीदों की चिताओं पर – जगदंबा प्रसाद मिश्र ‘हितैषी’ उरूजे कामयाबी पर कभी हिन्दोस्ताँ होगा रिहा सैयाद के हाथों से अपना आशियाँ होगा


‘Shaheedon Ki Chitaon Par’ by Jagdamba Prasad Mishra


Shaheedon Ki Chitaon Par – Jagdamba Prasad Mishra ‘Hitaishi’

शहीदों की चिताओं पर – जगदंबा प्रसाद मिश्र ‘हितैषी’

उरूजे कामयाबी पर कभी हिन्दोस्ताँ होगा
रिहा सैयाद के हाथों से अपना आशियाँ होगा
चखाएँगे मज़ा बर्बादिए गुलशन का गुलचीं को
बहार आ जाएगी उस दम जब अपना बाग़बाँ होगा
ये आए दिन की छेड़ अच्छी नहीं ऐ ख़ंजरे क़ातिल
पता कब फ़ैसला उनके हमारे दरमियाँ होगा
जुदा मत हो मेरे पहलू से ऐ दर्दे वतन हरगिज़
न जाने बाद मुर्दन मैं कहाँ औ तू कहाँ होगा
वतन की आबरू का पास देखें कौन करता है
सुना है आज मक़तल में हमारा इम्तिहाँ होगा
शहीदों की चिताओं पर जुड़ेंगे हर बरस मेले
वतन पर मरनेवालों का यही बाक़ी निशाँ होगा
कभी वह दिन भी आएगा जब अपना राज देखेंगे
जब अपनी ही ज़मीं होगी और अपना आसमाँ होगा

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