शुक्रवार, 30 अक्टूबर 2015

घूम रहे , महागठबंधन के ठग , चित्त मलिन और खिन्न खिन्न।

मुख में जो शैतान लिए हैं ,

आतों में जिन्ना का जिन्न ,

उनसे बचना (वसुधा के) मित्र अभिन्न।

सही कहें हैं शाह अमित ,

हार गया यदि मोदी भैया ,

सब रोयेंगे दीन विपन्न।

घूम रहे  , महागठबंधन के ठग  ,

चित्त मलिन और खिन्न खिन्न।

सब लेकर चित्त मलिन और खिन्न

तैंतीस कोटि देवता अपने ,

उनके (तैतीस) घोटाले अविछिन्न ,

चारा चोर जहां पर बैठे,

 करनी उनकी नहीं   विभिन्न। 

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