रविवार, 18 अक्टूबर 2015

वाल्मीकि रामायण के माहात्म्य में प्रसंग आया है ,राम कथा का वाचन कहाँ कहाँ होना चाहिए। बतलाया गया इसका वाचन राम के मंदिरों में संसदी (संसद अर्थात राजा की सभा )में सभा के आरम्भ में होना चाहिए। कैसी विडंबना है आज संसद के सत्र के आरम्भ में राम कथा का वाचन तो दूर की बात है राम का नाम लेने वाले राम राम ,जैरामजी कहकर अभिवादन करने वाले को साम्प्रदायिक कह दिया जाता है। ये कहने वाले स्वयं विधर्मी हैं ,ये भारत भूमि से धर्म का समूल विनाश करना चाहते हैं इन्हें ही सेकुलर कहा जाता है।ये ही वे लोग हैं जो आज पुरूस्कार लौटाई का नाटक खेल रहें ,पुरूस्कार का इस्तेमाल शकुनि मामा के पांसों की तरह कर रहे हैं।

वाल्मीकि रामायण के माहात्म्य में प्रसंग आया है ,राम कथा का वाचन कहाँ कहाँ होना चाहिए। बतलाया गया इसका वाचन राम के मंदिरों में संसदी (संसद अर्थात राजा की सभा )में   सभा के आरम्भ में होना चाहिए। कैसी विडंबना है आज संसद के सत्र के आरम्भ में राम कथा का वाचन तो दूर की बात है राम का नाम लेने वाले राम राम ,जैरामजी कहकर अभिवादन करने वाले को साम्प्रदायिक कह दिया जाता है। ये कहने वाले स्वयं विधर्मी हैं ,ये भारत भूमि से धर्म का समूल विनाश करना चाहते हैं इन्हें ही सेकुलर कहा जाता है।ये ही वे लोग हैं जो आज पुरूस्कार लौटाई का नाटक खेल रहें ,पुरूस्कार का इस्तेमाल शकुनि मामा के पांसों की तरह कर रहे हैं। 

हमारा मानना है भारत के विखंडन को बचाने के लिए आज हमारे समाज का जो चतुर्थ वर्ग है उसे आदर पूर्वक राम और कृष्ण कथाओं के आयोजनों  में बुलाया जाना चाहिए। उसे बताया जाना चाहिए ये कथा आपके लिए ही आयोजित है उन्हें बुलाकर आदर पूर्वक यथा स्थान बिठाया जाए ,खुद बा खुद अपने आप से ईशाई मिशनरियों का धर्मांतरण का धंधा मंदा पड़  जाएगा।

जैसे स्कूलों में मिड -डे मील्स आने से स्कूलों में हाज़िरी बढ़ती गई है वैसे ही इन राम और कृष्ण कथाओं में समाज के सबसे निचले पायदानों पर जो लोग खड़े हैं उनकी शिरकत बढ़ने से मिशनरियों का धंधा चौपट हो जाएगा। सबके लिए प्रसाद की व्यवस्था भी की जाए।

हमारा मानना है कि हमारे सदनों से  संसद और विधानसभा के सत्रों से बहिर्गमन और जूतमपैजार रुक जाए यदि सत्र आरम्भ से पहले रामकथांश सुनाये जाएं ,मानस  का पाठ किया जाए। यदि आज के जूता चप्पल को यूं ही चलने दिया गया तो वह दिन दूर नहीं जब संसद और विधानसभाओं में लोग वीरगति को भी प्राप्त हो जाएं।

कृष्ण कथा से भी पहले राम कथा का होना गहरे निहितार्थ छिपाए है। भागवत पुराण के नवम स्कंध में वंशावलियों की चर्चा है। सूर्यऔर चन्द्र वंशावलियों की चर्चा है। सूर्य और चन्द्र वंश कोई अलग अलग नहीं हैं सूर्य वंशावली से ही चन्द्र वंशावली उदित हुई है। कृष्ण कथा से भक्ति ज्ञान और वैराग्य आएगा। राम कथा से चरित्र आएगा जिसे सेकुलर धीरे धीरे चाट रहें हैं। चट कर रहे हैं।

राम सूर्यवंशी है। कृष्ण चन्द्र वंशी। राम कथा का श्रवण हमें मनुष्य बनाता है। पहले हम मनुष्य तो बन जाएं। भक्ति -ज्ञान -वैराग्य खुद ब खुद आ जायेगा कृष्ण कथा श्रवण से।

कथा श्रवण की आज महती आवश्यकता है। वास्तव में  तो सूर्यवंश से भी पीछे लौटें तो हम सब ब्रह्मा की संतानें हैं जिनके एक अंश से मनु और शतरूपा पैदा हुईं।  

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