बुधवार, 14 अक्टूबर 2015

आज सोशल मीडिया पर इलेक्ट्रॉनिकी सेकुलर खबरिया विशेष कार्यक्रम कर रहे हैं। 'सोशल मीडिया पर प्रसारित अफवाहों से सावधान रहें '-थोड़ी देर में तब तक आप नारी की शोभा बढ़ाने वाले विज्ञापन देखिये

आर्य संस्कृति ,वैदिक संस्कृति ,सनातन धर्म ,वर्णाश्रम धर्म के प्रतीकों का ,गुरु -गाय-गंगा -गीता -गायत्री पंच गकारों  का आदर करने वाले इस देश में यदि कट्टरपंथी कहलाते हैं तो इसकी वजह वह छद्म चिप्पी है जो इंदिरा अम्मा हमारे संविधान की पवित्र काया पर लगा गई।जिनके जैविक पिताजी हिंदुओं को ,भारतधर्मी समाज को गैर मुस्लिम कहकर अपनी पीठ थपथपा लिया करते थे। हिंदी को वर्नाकुलर लेंगुएज कहने बताने वाले भी इसी सोच के पाखंडी हैं ,ये ही आज सेकुलर कहलाते हैं। इस अपवित्र चिप्पी को संविधान की काया पर से हटाया जाना बहुत ज़रूरी है।


इन्हीं की डुगडुगी मज़मा लगाऊ मीडिया बजा रहा है। दादरी में जबकि दोनों समुदायों के बीच बेटी रोटी के उत्सवों में शरीक हो सब हाथ बटा  रहे हैं ये सेकुलर दल्ले फिर भी दादरी की चर्चाको बनाये रखकर सेलुलॉइड स्क्रीन पर  मुर्गे लड़वा रहें हैं। ये किसी खबर को पहले सनसनीखेज स्टोरी में और फिर धारावाहिक में बदल देने में बड़ी  शातिरी रखते  हैं  . और ये स्साला कैमरा जो इनके हाथों में रहता है उसके आगे आने को आतुर वही तमाम लोग रहते हैं जिन्हें मुद्दे की ज़रा सी भी भनक नहीं होती। शरद यादव की तरह बौनी सोच के लोग हैं ये। लालू की तरह शैतान मुख हैं ,विषमुख हैं। पूछना चाहिए इन चैनलियों को लालुओं से -आप जाति और मज़हब के नाम पर वोट क्यों मांग रहे हैं ये ललुवों पर स्टोरी कर रहें हैं उन्हें हीरो बनाके पेश कर रहे हैं। 

कूट ,शल ,तोषल ,चाणूर ,मुष्टिक  कंस के पांच मित्र थे ये ही वेश बदलके महाठगबंधन में आ आगये हैं कलियुग में। 'कूट' जिसने बांटके रखा जनता को ,तू यादव तू मुसलमान ,'शल' जो शूल चुभाता रहे जनता को ,'तोषल' लालू की तरह बड़बोला ,लंबा लम्बा नापने वाला ,बड़े सब्ज़बाग दिखाने वाला ,चाणूर का अर्थ है भय ,एक अज्ञात भय और अभाव में जनता को रखो ,पांचवां है मुष्टिक -कैसे पूरी प्रजा को मुठ्ठी  में करके रखो।

 खबरदार इन सेकुलरों से जो गौ रक्षकों को कट्टर बतलाते हैं। पहचानों इन पांच मित्रों को कंस के नीतीश के महाठगबंधन में। 

एक बात और अपने सोशल मीडिया मित्रों से कृपया भाषा की सूक्ष्मता और शालीनता को बनाये रहें सेकुलर विशेषण आज डिजिटल गाली है ,अपशब्द है।किसी से व्यक्तिगत अपभाषा में सम्बन्ध जोड़ना हो तो बस उसे सेकुलर कह दो। 

आज सोशल मीडिया पर इलेक्ट्रॉनिकी सेकुलर खबरिया विशेष कार्यक्रम कर रहे हैं। 'सोशल मीडिया पर प्रसारित अफवाहों से सावधान रहें '-थोड़ी देर में तब तक आप नारी की शोभा बढ़ाने वाले विज्ञापन देखिये। 

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