शनिवार, 20 फ़रवरी 2016

ये कैसे पिछड़े हैं जो एक राष्ट्र को अराजकता की ओर ले जाना चाहते हैं।ये पिछड़े है या सिरफिरे ? खुद अपने प्रदेश को आग लगा रहे हैं सिर्फ इसलिए कि वहां एक गैर -जाट मुख्यमंत्री है जिसे कुछ सिरफिरों ने पाकिस्तानी कहने की भी हिमाकत की थी। ठीक वैसे ही जैसे एक अक्ल से पैदल बुद्धिलाल ललुवे ने लालकृष्ण आडवाणी को सिंधी पाकिस्तानी कहने की धृष्टता की थी। जबकि उस वक्त पाकिस्तान अस्तित्व में भी नहीं था जब आडवाणी जन्मे -भारत अखंड भारत था तब जिसे अब खंड खंड करने की साजिश अब नियोजित तरीके से चल रही है

हरियाणा जाट आंदोलन मोदी सरकार के खिलाफ एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है।  हमारा तर्क यह है नज़दीकी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यह आंदोलन क्यों नहीं है जो जाटों  की खासी बड़ी सु-शिक्षित पट्टी है। हर मायने में इस पट्टी का जाट हरयाणा के जाट से आगे है चाहे वह मेधा हो या शौर्य।सिर्फ इसलिए कि वहां मुलायम सिंह संचालित   सरकार है बीजेपी की नहीं है। निशाना मोदी नहीं देश बन रहा है हरयाणा के सुविधाएं और संस्कृति के बचे खुचखुचे अवशेष बन रहे हैं।

अपढ़ रहना चाहता है क्या ये जेहादी मानसिकता के हाथों में खेलने वाला तबका। या सरे आम राष्ट्र -विरोधी ताकतों के हाथों खेल कर गौरवानित होना चाहता है।

जेहादी मानसिकता के रक्तरंगी लेफ्टिए ,कांग्रेस के चोर -उच्चक्के चालीस चोर इस आंदोलन को हवा दे रहे हैं। एक तो कांग्रेसी  -कम्युनिस्ट ऊपर से जेहादी मानसिकता। करेला और नीम चढ़ा। नतीजा सामने है -ये लोग हरयाणा के  स्कूल मदरसों विश्व -विद्यालयों को भी निशाने पे ले रहे हैं। गर्ल्स हॉस्टिल में भी जबरिया घुस रहे हैं। किधर से आर्थिक -सामाजिक  राजनीतिक रुतबे  में  पिछड़े हैं ये जेहादिये ?कोई जाट समझाए ?

हमारा मानना है एक राष्ट्रीय आरक्षण आयोग गठित किया जाए। आर्थिक आधार पर आरक्षण के मानक तैयार किए जाए। देश की  संपत्ति को आग लगाने वालों को अन -बेलेबिल वारंट पर अंदर किया जाए।

बात साफ़ है ये बुरा न मानो होली  अंदाज़ में चुन चुन कर जाट -गैरजाट में से छंटनी करके चुनिंदा  लोगों और संस्थानों को ही निशाने पे ले रहे हैं। कैसा आंदोलन है ये ?

जिस बीबीएस  पठानिया ,फाउंडर पठानिया पब्लिक  स्कूल ,रोहतक ने अपना सारा जीवन हरियाणा को शिक्षित सुसंकृत करने में निकाल दिया अभी उसे शरीर छोड़े जुम्मा जुम्मा आठ रोज़ भी नहीं हुए - स्कूल की संपत्ति को आग लगाकर श्रृंद्धांजलि दी है हरयाणा के कथित जाटों ने ,जिन्हें  जाट कहने में अब संकोच हो रहा है।

ये कैसे पिछड़े हैं जो एक राष्ट्र को अराजकता की  ओर ले जाना चाहते हैं।ये पिछड़े है या सिरफिरे ? खुद अपने प्रदेश को आग लगा रहे हैं सिर्फ इसलिए कि वहां एक गैर -जाट मुख्यमंत्री है  जिसे कुछ सिरफिरों ने पाकिस्तानी कहने की भी हिमाकत की थी। ठीक वैसे ही जैसे एक अक्ल से पैदल बुद्धिलाल ललुवे ने लालकृष्ण आडवाणी को सिंधी पाकिस्तानी कहने की धृष्टता की थी। जबकि उस वक्त पाकिस्तान अस्तित्व में भी नहीं था जब आडवाणी जन्मे -भारत अखंड भारत था तब जिसे अब खंड खंड करने की साजिश अब नियोजित तरीके से चल रही है।

सिर्फ एक मोदी को हटाने के लिए।

 चंद सिरफिरे अगले चुनाव में मुंह की खाएंगे। इन्हें बेलट से मारा जाएगा। तब ही इस दौर में तामशबीन जाट नेताओं को अक्ल आएगी। जो पूरी शिद्दत से तमाशबीन बने हुए हैं जैसे हरियाणा से इनका कोई लेना देना ही न हो।बे -मुरव्वत ,बे -गैरत ,अ -राष्ट्रीय तमाशबीन हैं ये लोग।

नोट :कृपया गौरवान्वित शुद्ध रूप पढ़ें गौरवानित के स्थान पर।

जेहादी मानसिकता के आराजक तत्वों के खिलाफ खेलने वाला तत्त्व जाट नहीं हो सकता कुछ और होगा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें