बुधवार, 11 नवंबर 2015

सनातन वैदिक संस्कृति में जड़ जंगम सभी पूजित हैं। सभी में एक ही चैतन्य तत्व की व्याप्ति बतलाई गई है। दूर्वा (दूर्वा घास ),गंगा ,मानसरोवर सभी हैं पूजित। तुलसी दल का स्पर्श पाकर साधरण खाद्य सामिग्री प्रसाद बन जाती है। सनातन वैदिक संस्कृति में ही केवल प्रसाद की अवधारणा हैं। गुरद्वारों का परसादा इसी संस्कृति का अंग है। दसों गुरुओं ने सनातन संस्कृति को अक्षुण बनाये रखने में कुर्बानी दी है। हम नदी, पर्वत, वनस्पति सूर्य ,चन्द्र,तमाम ग्रह पिंडों को पूजते हैं।

सनातन वैदिक संस्कृति में जड़ जंगम सभी पूजित हैं। सभी में एक ही चैतन्य तत्व की व्याप्ति बतलाई गई है। दूर्वा (दूर्वा घास ),गंगा ,मानसरोवर सभी हैं पूजित। तुलसी दल का स्पर्श पाकर साधरण खाद्य सामिग्री प्रसाद बन जाती है। सनातन वैदिक संस्कृति में ही केवल प्रसाद की अवधारणा हैं। गुरद्वारों का परसादा इसी संस्कृति का अंग है। दसों गुरुओं ने सनातन संस्कृति को अक्षुण बनाये रखने में कुर्बानी दी है। हम नदी, पर्वत, वनस्पति सूर्य ,चन्द्र,तमाम ग्रह पिंडों को पूजते हैं।
जैव वैविध्य केवल एक नीहारिका (गेलेक्सी ),एक यूनिवर्स तक सीमित नहीं है। अनंत कोटि ( Millions एंड मिलियंस )ब्रह्मणाड (सृष्टियाँ )यूनिवर्स हैं। उसी अनुपात में जैव -वैविध्य भी है।
सनातन संस्कृति में वैकुण्ठ की अवधारणा है जो इतर (अन्य )सभी सृष्टियों से तीन गुना ज्यादा है। शेष एक चौथाई में उल्लेखित अनंत सृष्टियाँ हैं ,सबके अपने ब्रह्मा -विष्णु -महेश हैं। ईश्वर एक है अल्लाह कहो या यहोवा बाकी सब टेन्योर हैं। पोर्टफोलियोज़ है।
चाहे कृष्ण कहो या राम कहो ,मोहम्मद साहब ,ऎसा मसीह ,तमाम अवतार अन्य धर्म पंथों के मुखिया सबका एक है इसीलिए तुलसीबाबा ने कहा -
हरि अनंत ,हरि कथा अनंता ,
कहइहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता।
एक प्रतिक्रिया :
क्या धार्मिक मान्यताएं जैव विविधता के संरक्षण में सहायक हैं?
Inline image 1▶ 15:50
https://www.youtube.com/watch?v=bqcliaGTQZo
Apr 14, 2012 - Uploaded by Gulzar - The Versatile Poet
Gulzar - Kabir By Abida - Saahib Mera Ek Hai - Sung By Abida Parveen Speech Gulzar.
जैव विविधता के संरक्षण में सहायक धार्मिक मान्यताओं पर एक खोजपरक आलेख।
SCIENTIFICWORLD.IN

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