शुक्रवार, 13 नवंबर 2015

फिर चाहे स्थान अलीगढ़ हो या कानपुर। कुछ न कुछ तो होना चाहिए खासकर तब जब प्रधान मंत्री विदेशों में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने वाले वक्तव्य दे रहे हैं। बी बी सी को इस बात का संतोष होना चाहिए कि भारत विरोध की उसकी नीति को इंडिया के सेकुलरिस्टों ने हाथों हाथ लिया है। इसलिए कोई पाकिस्तान में जाकर वहां की सेना के बहादुरी की तारीफ़ कर रहा है। कोई भारत को बदनाम करने के लिए तनाव की बातें फैला रहा है। कोई अ -सहिषुणता की बात कर रहा है। ताकि विदेशी प्रेस में ये सवाल तो उठाये जा सकें। बहुत तो ऐसे हैं जिनके लिए विदेशी प्रेस के प्रश्न उनकी भारत विरोध की नीति का प्रसार करके उनकी शोहरत बढ़ा रहे हैं।

कुछ लोग दंगों को भी प्रायोजित करते हैं। ऐसा लगता है कि वे देश की बदनामी करने में ही देश की सेवा देखते हैं। ऐसे राष्ट्र विरोधी कार्यों में अपनी क्षमता को बर्बाद करने वाले ये सेकुलरिस्ट्स मज़हबी सोच के मार्क्सवादी बौद्धिक अपने आपको देश से ऊंचा मानते हैं। वे सोचते हैं बदनाम तो देश होगा हमारी तो महिमा बढ़ेगी। इसलिए भारत भाव के प्रतीक बन चुके प्रधानमन्त्री मोदी के विरुद्ध जितना विष वमन किया जाए देश के स्नायुमंडल को जितना उत्तेजित किया जा सके उतना अच्छा है। हमें भारत नहीं इंडिया चाहिए जो किसी गौरव बोध को  नहीं जगाता। हम देश में रहते हैं क्या ये कम एहसान किया है हमने भारत पर। हमारी वजह से तो सेकुलर इंडिया ज़िंदा है। वे भारत को ध्वस्त कर सेकुलर इंडिया की सेवा कर रहे हैं। और यही पाखंड वे जारी रखे हुए हैं।

फिर चाहे स्थान अलीगढ़ हो या कानपुर। कुछ न कुछ तो होना चाहिए खासकर तब जब प्रधान मंत्री विदेशों में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने वाले वक्तव्य दे रहे हैं। बी बी सी को इस बात का संतोष होना चाहिए कि भारत विरोध की उसकी नीति को इंडिया के सेकुलरिस्टों ने हाथों हाथ लिया है। इसलिए कोई पाकिस्तान में जाकर वहां की सेना के बहादुरी की तारीफ़ कर रहा है। कोई भारत को बदनाम करने के लिए तनाव की बातें फैला रहा है। कोई अ -सहिषुणता की बात कर रहा है। ताकि विदेशी प्रेस में ये सवाल तो उठाये जा सकें। बहुत तो ऐसे हैं जिनके लिए विदेशी प्रेस के प्रश्न उनकी भारत विरोध की नीति का प्रसार करके उनकी शोहरत बढ़ा रहे हैं। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें