बुधवार, 30 दिसंबर 2015

जम्मू -काश्मीर -लद्दाख राज्य का झंडा धारा ३७० का अखंड हिस्सा रहा है जब तक यह धारा है झंडा भी फहराया जाएगा। भले ये राष्ट्रीय ध्वज का अनुगामी बनके आये।

संजय निरुपम जो काम शिवसेना में करते थे वही उन्होंने अब कांग्रेस में आकर कर दिया है। उन्होंने एक सचेतक का रोल प्ले किया है। उनका साफ़ सन्देश है इतिहास को मान लो गरिमापूर्ण तरीके से वगरना इतिहास बारहा आपको अपमानित करता रहेगा। शिव सेना ने एकाधिक बार कहा है :काश्मीर ,तिब्बत ,चीन की मौजूदा पेचीदगियां नेहरू कांग्रेस  ने ही पैदा की थीं।

अब संजय भले कहें -आइन्दा संपादक मंडल का ध्यान रखा जाएगा लेकिन 'कांग्रेस दर्शन 'के मार्फ़त वह अपना काम अंजाम दे चुके हैं। बेहतर हो कांग्रेस उल्लेखित इतिहास को मान ले।

जम्मू -काश्मीर -लद्दाख  राज्य का झंडा धारा ३७० का अखंड हिस्सा रहा है जब तक यह धारा है झंडा भी फहराया जाएगा। भले ये राष्ट्रीय ध्वज का अनुगामी बनके आये।

कांग्रेस  को यदि अपनी छवि सुधारनी है तो संजय निरुपम ने जो आकस्मिक मौक़ा दे दिया   उसका अपनी छवि सुधारने में चाहे   तो उपयोग कर सकती है।

बी जे पी को राज्य के झंडे के सन्दर्भ में कोसने के  बजाय धारा ३७० को समाप्त करने के लिए बी जे पी को उकसाए और उसे इस मुद्दे पर पूर्ण समर्थन देने का भरोसा दिलवाए।

लेकिन अगर उसका एजंडा केजर बवाल के साथ मिलकर केंद्र सरकार का वाजिब गैर वाजिब तरीके से हर मुद्दे पर विरोध करना ,विकास को निलंबित रख देश का विघटन करना  है और इस साजिश में नीतीश को भी  शरीक किये रहना है तो और बात है। 

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