बुधवार, 2 दिसंबर 2015

जनरल वी के सिंह के बयान पर बवाल मचाने वाले पहले ये बतलाये मणिशंकर अय्यर ने पाकिस्तान में जाकर क्या कहा था ,सलमान खुर्शीद वहां जाकर क्या कहकर आये थे। क्या आप उससे सहमत हैं। वी के सिंह अपने बयान की सफाई कई मर्तबा दे चुकें हैं एक दलित की मौत पर। कांग्रेस को ये ज़रूरी नहीं लगता वह अपने देश के खिलाफ बोलने वालों की खबर ले। क्या ये कांग्रेस की नीति का हिस्सा है।सांसद होकर देश की सूचनाएं पाकिस्तान को देते हैं। देश की खुफियागिरी करते हैं क्या ये कांग्रेस की नीति का हिस्सा है ?


टुकड़ खोर अब भौंकते लोक सभा में आय,

कैसे दिन थे राम जी अब कुछ भी न भाय। 

जनरल वी के सिंह के बयान पर बवाल मचाने वाले पहले ये बतलाये मणिशंकर अय्यर ने पाकिस्तान में जाकर क्या कहा  था ,सलमान खुर्शीद वहां जाकर क्या कहकर आये थे। क्या आप उससे सहमत हैं। वी के सिंह अपने बयान की सफाई कई मर्तबा दे चुकें हैं एक दलित की मौत पर। कांग्रेस को ये ज़रूरी नहीं लगता वह अपने देश के खिलाफ बोलने वालों की खबर ले। क्या ये कांग्रेस की नीति का हिस्सा है।सांसद होकर देश की सूचनाएं पाकिस्तान को देते हैं। देश की खुफियागिरी करते हैं क्या ये कांग्रेस की नीति का हिस्सा है ? 

५७ दिनों तक लोकसभा से नदारद रहने वाला मंदमति आज लोकसभा में पहलू  बदलके पूछ रहा है जनरल वी के सिंह मुझे कहीं नज़र  आते। दूसरे ही सांस में ये अबुध कुमार पूछ रहा है सेना में कितने आईएसआई एजेंट हैं। हम बतलातें हैं आपको इनकी संख्या घियासुद्दीन गाज़ी के परिवार में नेहरू छद्मनामी वर्णसंकरों  से बहुत कम है।जनरल वी के सिंह ने अपनी बात एक उपमान के माध्यम से दी थी ,काव्यात्मक शैली में दी थी ,कि यदि गाड़ी  के नीचे आकर कोई पिल्ला भी कुचल जाए तो दुःख तो होता ही है। कांग्रेस को यदि भाषा भी नहीं आती ,उपमेय ,उपमान ,अलंकार ,शब्द की शक्तियों का भी ज्ञान नहीं है तो उसे लोकसभा में बैठने का क्या अधिकार है। वह वहां बैठने के अयोग्य ही है। जो कांग्रेस में काम के लोग हैं उन्हें अलग बैठा रखा है इस अबुध कुमार को आगे किया हुआ है। 

ऐसे कांग्रेसी अपना शरीर ढौ रहे हैं इस देश का अन्न खाकर बदले में पृथ्वी पर अपना मलमूत्र गिरा रहे हैं। क्या योगदान है इनका इस दौर में यही क़ि हम संसद को चलने नहीं देंगे। देश को तोड़के रहेंगे।तमिलनाडु जलप्रलय से डूब रहा है और ये अ -सहिष्णुता का फटा हुआ ढोल पीट रहे हैं। शर्म इन्हें फिर भी नहीं आती।  

देखेगी जनता कितना दम है गद्दार पंजे में। चढ़ी हुई आस्तीनों में। 

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