
परम्परा आकर्षित ही नहीं करती संरक्षण भी प्राप्त करती है अमरीका जैसे विकसित राष्ट्रों में जहां ऑर्गेनिक फार्म्स भी हैं ऑर्गेनिक खेती भी है उत्पाद भी हैं। किसानों से उपभोक्ता सीधे उत्पाद खरीदता है खेत में जाकर ,फारमर्स मार्किट में जाकर।
गाय का संरक्षण भारतीय संस्कृति का ही नहीं खेती किसानी का भी संरक्षण साबित हो सकता है। यहां एक साथ ट्रेकर और बैलों से जुताई का काम हो सकता है। छोटी जोत वालों की हैसियत से बाहर ही रहा आया है ट्रेकटर। हिन्दुस्तान में किसी भी चीज़ को कम करने की ज़रूरत नहीं है संशाधनों के विकल्प बढ़ाते जाने की है।
पर्यावरण की नव्ज़ भी गाय से जुड़ी है। आखिर ट्रेकटर डीज़ल से ही चलता है बैल को डीज़ल पिलाने की जरूरत नहीं पड़ती है। पर्यावरण का मित्र है बैल। जलवायु का ढ़ांचा इस दौर में टूटने के संकेत देने लगा है कोरल बीचिज़ का सौंदर्य
तेज़ी से विलुप्त होने लगा है उन क्षेत्रों से जो पर्यटन का केंद्र कोरल से ही बने थे। ध्रुवों पे बर्फ भी उतनी नहीं गिर रही है आइस शीट ओज़ोन कवच की तरह दुबला रही है।
गाय इसके और क्षय को रोक सकती है अपने कर्मठ बेटों (बैलों )के योगदान को केंद्र में लाकर। गाय बचेगी तभी उसका कुनबा बढ़ेगा। अभी तो दोनों को खतरा है।
जानकर बहुत अच्छा लगा की आज भी पुराने खेती के तरीकों को अपनाया जा रहा है। heatsticks uk
जवाब देंहटाएं