कट्टर पंथी मुसलमान शब्द हम ने गत दशकों में बार -बार सुना। इस दौरान दहशदगर्दी इंतिहा पसंदगी क्या होती है यह भी मालूम हुआ। फतवा क्या होता है यह भी मालूम हुआ।
यदा कदा यह भी देखा चंद कट्टरपंथी हाइवेज़ पर नमाज़ पढ़ रहे हैं। कहते हैं जिस जगह नमाज़ पढ़ी जाती है वह जगह पाकीज़ा हो जाती है ,मस्जिद हो जाती है।इस दौरान कुछ लोगों को अजान शोर लगने लगी तो कुछ को दुर्गा पूजा आरती वंदन पर मुंह बिराते देखा।
अब तो गाहे बगाहे चौराहे शाहीन बाग़ और टिकैटी खेत हो जाते हैं। इन खेतों में दीगर जगहों से लाकर मिट्टी डाली जाती है ,खोद दिया जाता है मुख्य-मार्गों को फिर वृक्षारोपण का ढोंग किया जाता है। पूछा जा सकता है कट्टरपंथी मुल्ला मौलवियों और टिकैत नुमा कथित कुलकों अमीर किसानों में क्या अंतर् है।क्या ये लोग भारतीय संसद ,शीर्ष अदालत ,तमाम कायदे क़ानून से ऊपर हैं। एक टिकैत भारत को बैलगाड़ी बनाए हाँक सकता है ?यदि नहीं तो फिर इस ना -फ़रमानी का विरोध क्यों नहीं। क्या अब टिकैती क़ानून चलेंगे यहां ?
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