,राम कथा मंदाकिनी ,चित्रकूट चित चार चारु ,
तुलसी सुभग स्नेह वन श्री रघुवीर विहार।
ये चित्त ही संसार है इसके प्रयत्न पूर्वक शोधन का काम राम कथा करती है अगर चित्त कथा से जुड़ा है ,संसार कहाँ याद आता है। जब चित्त बदलता है तो चरित भी बदल जाता है। ये जितने भी आप चित्र बैठे हैं ये सब चित्रकूट हैं। और इनके भीतर चारु चित्त -जब आप कथा सुनने आये हैं तो आपके चित्त का शोधन होगा ही। जब चित्त बदल जाता है तो मानव का धीरे धीरे चित्र (जेस्चर बैठने का )भी बदल जाता है। चित्र बदलता है तो चरित भी बदलता है।
सुरतीय नरतीय नागतिय, सबहि के मन होय
गोद लिए हुलसी फिरै के ,तुलसी सो सुत होय। (तुलसी की माँ का नाम हुलसी था )
(अब्दुर रहीम खान खानी )-तुलसी ने राम कथा दी जिसे सुनकर लाखों तर गए।सुत हो तो तुलसी सा हो जिसने उतने लोगों को तार दिया जितने तोआकाश में तारे भी नहीं हैं।
जेते तुम तारे ,तेते नभ में न तारे -वो कथा आप सुन रहें हैं जिसे सुनकर लाखों तर गए।
जहां राम कथा सुनी जाती है वह परिसर आनंद वन बन जाता है। आँखें बंद करो तो आपको सिया और राम दोनों दिखाई देंगे। वह दोनों आपको देख रहें हैं -दूसरी तरफ मन गया तो राम जी भी मुंह फेर लेंगे,इसीलिए मन को कथा में एकाग्र रखो और राम में मन रहा तो आपका मन रम जाएगा। और राम कैसे हैं ?
सर्वाधिपत्यं -वह राम व्यापक भी है अयोध्या का राजा भी है। जब वह व्यापक होता है तो कैसा होता है :
एकहुवशी -
सर्व रूप आत्माओं को उसने अपने वश में किया हुआ है। जब वह व्यापक हो जाता है तब वह दशरथ पुत्र ही नहीं रह जाता है। ऐसा भगवान् जो सारे संसार पर शासन करता है उस राम को देखने की यह दृष्टि कथा से मिलती है। राम कथा विपदा व्यथा का हार्न कर लेती है।
जो परमात्मा चाहता है वही तो होता है तभी तो हम -
एकहुवशी हैं। सारे संसार को भगवान् अपनी शरण में रखते हैं। राम कथा सुनने के बाद दोष दर्शन मिटता है।
जफ़र साहब का शैर है :
न थी हाल की, जब हमें अपनी खबर ,
रहे देखते औरों के एब-ओ -हुनर
पड़ी अपनी बुराइयों पे जो नज़र ,
तो (दुनिया )नज़र (निगाह ) में कोई बुरा न रहा।
ये राम कथा तन को पुष्टि ,मन को (संतुष्टि )तुष्टि और बुद्धि को दृष्टि देती है।यह कथा मानव की देह से आपको ब्रह्म की देह तक ले जाती है।
सन्दर्भ -सामिग्री :
(१ )https://www.youtube.com/watch?v=kxb17bPyUpM
तुलसी सुभग स्नेह वन श्री रघुवीर विहार।
ये चित्त ही संसार है इसके प्रयत्न पूर्वक शोधन का काम राम कथा करती है अगर चित्त कथा से जुड़ा है ,संसार कहाँ याद आता है। जब चित्त बदलता है तो चरित भी बदल जाता है। ये जितने भी आप चित्र बैठे हैं ये सब चित्रकूट हैं। और इनके भीतर चारु चित्त -जब आप कथा सुनने आये हैं तो आपके चित्त का शोधन होगा ही। जब चित्त बदल जाता है तो मानव का धीरे धीरे चित्र (जेस्चर बैठने का )भी बदल जाता है। चित्र बदलता है तो चरित भी बदलता है।
सुरतीय नरतीय नागतिय, सबहि के मन होय
गोद लिए हुलसी फिरै के ,तुलसी सो सुत होय। (तुलसी की माँ का नाम हुलसी था )
(अब्दुर रहीम खान खानी )-तुलसी ने राम कथा दी जिसे सुनकर लाखों तर गए।सुत हो तो तुलसी सा हो जिसने उतने लोगों को तार दिया जितने तोआकाश में तारे भी नहीं हैं।
जेते तुम तारे ,तेते नभ में न तारे -वो कथा आप सुन रहें हैं जिसे सुनकर लाखों तर गए।
जहां राम कथा सुनी जाती है वह परिसर आनंद वन बन जाता है। आँखें बंद करो तो आपको सिया और राम दोनों दिखाई देंगे। वह दोनों आपको देख रहें हैं -दूसरी तरफ मन गया तो राम जी भी मुंह फेर लेंगे,इसीलिए मन को कथा में एकाग्र रखो और राम में मन रहा तो आपका मन रम जाएगा। और राम कैसे हैं ?
सर्वाधिपत्यं -वह राम व्यापक भी है अयोध्या का राजा भी है। जब वह व्यापक होता है तो कैसा होता है :
एकहुवशी -
सर्व रूप आत्माओं को उसने अपने वश में किया हुआ है। जब वह व्यापक हो जाता है तब वह दशरथ पुत्र ही नहीं रह जाता है। ऐसा भगवान् जो सारे संसार पर शासन करता है उस राम को देखने की यह दृष्टि कथा से मिलती है। राम कथा विपदा व्यथा का हार्न कर लेती है।
जो परमात्मा चाहता है वही तो होता है तभी तो हम -
एकहुवशी हैं। सारे संसार को भगवान् अपनी शरण में रखते हैं। राम कथा सुनने के बाद दोष दर्शन मिटता है।
जफ़र साहब का शैर है :
न थी हाल की, जब हमें अपनी खबर ,
रहे देखते औरों के एब-ओ -हुनर
पड़ी अपनी बुराइयों पे जो नज़र ,
तो (दुनिया )नज़र (निगाह ) में कोई बुरा न रहा।
ये राम कथा तन को पुष्टि ,मन को (संतुष्टि )तुष्टि और बुद्धि को दृष्टि देती है।यह कथा मानव की देह से आपको ब्रह्म की देह तक ले जाती है।
सन्दर्भ -सामिग्री :
(१ )https://www.youtube.com/watch?v=kxb17bPyUpM
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