CAN DIABETES BE HELPED?
क्या आप जानते है ,मधुमेह एक अपविकासी (degenerative disease)जीवन शैली रोग है ?
क्या डायबिटीज़ से बचाव संभव है ?क्या इस दिशा में वाकई कुछ हो सकता है ,कहीं से कोई टेका(इमदाद ,help ) मिल सकता है। इससे जुड़ी वह जानकारी क्या है जो बिरले ही किसी को मालूम होगी वह भी उसे जो बे -हिसाब मेडिकल शोध की खिड़की को खंगलाता होगा ?
बे -शक हम सभी जानते हैं - मधुमेह रोग का दायरा लगातार सुरसा के मुंह सा फैलता जा रहा है फिर चाहे वह अमरीका जैसे खुशहाल खाते पीते दीखते लोग हों या गरीब देश।
यह भी बहुतों ने सोचा होगा शक़्कर का बे -हिसाब इस्तेमाल इस महामारी की वजह बनता है।आइये कुछ बातों पर गौर करते हैं :
(१ )हमारे शरीर में खुद को दुरुस्त कर लेने की क्षमता विद्यमान रही आई है और रहती है। जैसे कटी -फटी ऊँगली अपने आप ठीक हो जाती है वैसे ही हमारा अग्नाश्य (अग्नाश्य ग्रंथि ,pancreas )खुद को दुरुस्त कर लेने की क्षमता लिए रहता है। लेकिन अगर आप अदबदाकर उस गर्म तवे को बारहा हाथ लगाते रहेंगे जो आपको जला देता है ,फिर आपका अल्लाह ही मालिक है कमान आपके हाथ से निकल जाएगी।
शुगर और हाईग्लाईकेमिक इंडेक्स (G.I)वाला खाद्य वही काम करता है। High -glycemic foods )खाद्य ऐसे तमाम खाद्य हैं प्रसंस्करित खाद्य हैं ,जो जल्दी ही सिंपल सुगर्स में टूट जाते है अपचयित हो जाते है और तुरत फुरत हमारे खून में ग्लूकोज़ के स्तर को ऊपर ले आते हैं। नतीजा होता है हाई -ब्लड -शुगर ,भले कुछ समय के लिए ही सही।
वाइट फूड्स से आप बाकायदा परिचित हैं फिर भी :
(१ )वाइट राइस (पोलिश वाला परिष्कृत ताजमहल सा जगमग ,लालकिले सा मशहूर देहरादून सा बासमती )
(२ )वाइट ब्रेड
(३ )वाइट फ्लोर (मैदा )
(४ )वाइट -पोटेटो
अलबत्ता वाइट स्किन लोग (गोर -चिट्टे नर -नारी )इस लिस्ट से बाहर ही रखे जाएंगे।
ये तमाम खाद्य उस दर से आपके ब्लड सुगर में देखते ही देखते इज़ाफ़ा कर देते हैं जो सामान्य दर नहीं कही जाएगी।
ऐसे में बेचारे अग्नाश्य पर दवाब बनता है उसे अप्रत्याशित तौर पर इन्सुलिन का सैलाब लाना पड़ता है। मामला क्लाउड ब्रस्ट की तरह है हमारे पेन्क्रियेज़ के लिए। ऐसा इसलिए है ,कुदरती प्राकृत अवस्था में हमारे शरीर को शक्कर के बढ़ने की दर का इल्म ही नहीं होता है ,सब कुछ स्वयंचालित व्यवस्था करती रहती है।
बे -चारे शरीर को ऐसे में मालूम ही कहाँ है यहां मांजरा कुछ और है- ब्लड सुगर बढ़ती ही जाती है बढ़ती ही जाती है। अगर मालूम हो के ये वृद्धि तात्कालिक है ,थम जाएगी तो पेन्क्रियेज़ इन्सुलिन का बे -हिसाब स्राव ही क्यों करे ?
अब इतना फ़ालतू इन्सुलिन तो अपना रंग दिखायेगा वह भी शक़्कर को जलाता ही जाएगा ठिकाने लगाता ही जाएगा और नतीजा होगा -हाइपोग्लाइसेमिया -इस स्थिति में आपके खून में तैरती शक्कर का स्तर एक दम से गिर कर निम्न हो जाएगा।
बारहा शक्कर के स्तर में आकस्मिक घट-बढ़ धमनियों पर कालांतर में भारी पड़ती है। मैंने डायबिटीज़ के ऐसे मरीज़ बहुत करीब से देखें हैं उनकी चिकित्सा व्यवस्था का पूरा निगरानी तंत्र करीब से देखा है ,जिनकी डायबिटीज़ तीस -पैंतीस साला हो गई है।
इन्हें बार -बार एंजियोग्रेफी की जरूत पेश आ जाती है ,लेकिन बारहा एंजियोग्रेफी के लिए धमनी ही हाथ नहीं आती बीच में ही कहीं खो जाती है।पूरे परिवार का रोग बन जाता है मधुमेह जीवन- शैली -रोग। अब ऐसे में अग्नाश्य ही बे -चारा कहाँ बचेगा।
उसका अपविकास होगा के नहीं होगा ?पेंक्रियाज़ डिजेनरेट करेगी या नहीं करेगी।मरता क्या न करता इस अपविकासी स्थिति आने से पहले अग्नाश्य अति -सक्रीय (hyperactive )हो जाता है। ताकि कुछ ले दे के उसका काम तो ठप्प न हो।लेकिन होता उल्ट ही है। आपका ब्लड शुगर लेवल अब जल्दी जल्दी सामन्य से बहुत नीचे स्तर पर आने लगता है।ऐसे में आप एक टाइम का भोजन मिस कर जाएँ वक्त ही न निकाल पाए भोजन का चर्या में से फिर देखिये क्या होता है आपके साथ।
हाइपो -ग्लाइसीमिया आपके लिए खतरे की घंटी हो सकता है ,चेतावनी यही है आप अपना खान -पानी दुरुस्त कर लें। अग्नाश्य भी सम्भल जाएगा।
Some will get the shakes if they skip meals .
क्या आप जानते हैं -अग्नाश्य के स्वास्थ्य को कुछ किण्वक
या एंजाइम बचाये रह सकते हैं ?
कुदरती खाना (तमाम किस्म के भोज्य पदार्थ )इन एन्जाइज़ों के ढ़ेर के ढ़ेर लिए रहते हैं। ये कैंची है खाद्य को कतरने की। खाद्य टूट जाएगा अपने सरलतम रूपों में।
लिटमस पेपर टेस्ट है यह -वह खाना जल्दी सड़ेगा नहीं दीर्घावधि में भी ,जिसमें एन्जाइम्स का स्तर निम्तर बना होगा।
लेकिन एन्जाइम्स से भरपूर खाने की भंडारण अवधि ,सेल्फ- लाइफ कमतर होगी। परिष्कृत - प्रसंस्करित ,संशाधित खाद्यों में एंजाइम तकरीबन -तकरीबन नष्ट ही हो जाते है।
ओवर कुक्ड और माइक्रोवेव्ड किए खाने के साथ भी यही होता है -एन्जाइम्स नदारद हो जाते हैं खाद्यों में से। उन्हें उनकी प्राकृत अवस्था में ही परम्परागत तरीके से पका बनाकर खाइये।
बड़े एहम हैं एंजाइम हमारे भोजन के लिए। इनके अभाव में अग्नाश्य पर क्या गुज़रती होगी ये आप नहीं जानते हैं।
संदर्भ -सामिग्री :माननीया शाइरी याले जी के साथ एक लम्बी बातचीत पर आधारित है यह आलेख। आप नामचीन काइरोप्रेक्टर हैं। डीसी का मतलब यहां डॉक्टर आफ काइरोप्रेक्टिक है।
Dr Sherry Yale ,DC is the owner of TLC Holistic Wellness .She lives in Livonia ,MI 48 150 phone :734 664 0339
क्या डायबिटीज़ से बचाव संभव है ?क्या इस दिशा में वाकई कुछ हो सकता है ,कहीं से कोई टेका(इमदाद ,help ) मिल सकता है। इससे जुड़ी वह जानकारी क्या है जो बिरले ही किसी को मालूम होगी वह भी उसे जो बे -हिसाब मेडिकल शोध की खिड़की को खंगलाता होगा ?
बे -शक हम सभी जानते हैं - मधुमेह रोग का दायरा लगातार सुरसा के मुंह सा फैलता जा रहा है फिर चाहे वह अमरीका जैसे खुशहाल खाते पीते दीखते लोग हों या गरीब देश।
यह भी बहुतों ने सोचा होगा शक़्कर का बे -हिसाब इस्तेमाल इस महामारी की वजह बनता है।आइये कुछ बातों पर गौर करते हैं :
(१ )हमारे शरीर में खुद को दुरुस्त कर लेने की क्षमता विद्यमान रही आई है और रहती है। जैसे कटी -फटी ऊँगली अपने आप ठीक हो जाती है वैसे ही हमारा अग्नाश्य (अग्नाश्य ग्रंथि ,pancreas )खुद को दुरुस्त कर लेने की क्षमता लिए रहता है। लेकिन अगर आप अदबदाकर उस गर्म तवे को बारहा हाथ लगाते रहेंगे जो आपको जला देता है ,फिर आपका अल्लाह ही मालिक है कमान आपके हाथ से निकल जाएगी।
शुगर और हाईग्लाईकेमिक इंडेक्स (G.I)वाला खाद्य वही काम करता है। High -glycemic foods )खाद्य ऐसे तमाम खाद्य हैं प्रसंस्करित खाद्य हैं ,जो जल्दी ही सिंपल सुगर्स में टूट जाते है अपचयित हो जाते है और तुरत फुरत हमारे खून में ग्लूकोज़ के स्तर को ऊपर ले आते हैं। नतीजा होता है हाई -ब्लड -शुगर ,भले कुछ समय के लिए ही सही।
वाइट फूड्स से आप बाकायदा परिचित हैं फिर भी :
(१ )वाइट राइस (पोलिश वाला परिष्कृत ताजमहल सा जगमग ,लालकिले सा मशहूर देहरादून सा बासमती )
(२ )वाइट ब्रेड
(३ )वाइट फ्लोर (मैदा )
(४ )वाइट -पोटेटो
अलबत्ता वाइट स्किन लोग (गोर -चिट्टे नर -नारी )इस लिस्ट से बाहर ही रखे जाएंगे।
ये तमाम खाद्य उस दर से आपके ब्लड सुगर में देखते ही देखते इज़ाफ़ा कर देते हैं जो सामान्य दर नहीं कही जाएगी।
ऐसे में बेचारे अग्नाश्य पर दवाब बनता है उसे अप्रत्याशित तौर पर इन्सुलिन का सैलाब लाना पड़ता है। मामला क्लाउड ब्रस्ट की तरह है हमारे पेन्क्रियेज़ के लिए। ऐसा इसलिए है ,कुदरती प्राकृत अवस्था में हमारे शरीर को शक्कर के बढ़ने की दर का इल्म ही नहीं होता है ,सब कुछ स्वयंचालित व्यवस्था करती रहती है।
बे -चारे शरीर को ऐसे में मालूम ही कहाँ है यहां मांजरा कुछ और है- ब्लड सुगर बढ़ती ही जाती है बढ़ती ही जाती है। अगर मालूम हो के ये वृद्धि तात्कालिक है ,थम जाएगी तो पेन्क्रियेज़ इन्सुलिन का बे -हिसाब स्राव ही क्यों करे ?
अब इतना फ़ालतू इन्सुलिन तो अपना रंग दिखायेगा वह भी शक़्कर को जलाता ही जाएगा ठिकाने लगाता ही जाएगा और नतीजा होगा -हाइपोग्लाइसेमिया -इस स्थिति में आपके खून में तैरती शक्कर का स्तर एक दम से गिर कर निम्न हो जाएगा।
बारहा शक्कर के स्तर में आकस्मिक घट-बढ़ धमनियों पर कालांतर में भारी पड़ती है। मैंने डायबिटीज़ के ऐसे मरीज़ बहुत करीब से देखें हैं उनकी चिकित्सा व्यवस्था का पूरा निगरानी तंत्र करीब से देखा है ,जिनकी डायबिटीज़ तीस -पैंतीस साला हो गई है।
इन्हें बार -बार एंजियोग्रेफी की जरूत पेश आ जाती है ,लेकिन बारहा एंजियोग्रेफी के लिए धमनी ही हाथ नहीं आती बीच में ही कहीं खो जाती है।पूरे परिवार का रोग बन जाता है मधुमेह जीवन- शैली -रोग। अब ऐसे में अग्नाश्य ही बे -चारा कहाँ बचेगा।
उसका अपविकास होगा के नहीं होगा ?पेंक्रियाज़ डिजेनरेट करेगी या नहीं करेगी।मरता क्या न करता इस अपविकासी स्थिति आने से पहले अग्नाश्य अति -सक्रीय (hyperactive )हो जाता है। ताकि कुछ ले दे के उसका काम तो ठप्प न हो।लेकिन होता उल्ट ही है। आपका ब्लड शुगर लेवल अब जल्दी जल्दी सामन्य से बहुत नीचे स्तर पर आने लगता है।ऐसे में आप एक टाइम का भोजन मिस कर जाएँ वक्त ही न निकाल पाए भोजन का चर्या में से फिर देखिये क्या होता है आपके साथ।
हाइपो -ग्लाइसीमिया आपके लिए खतरे की घंटी हो सकता है ,चेतावनी यही है आप अपना खान -पानी दुरुस्त कर लें। अग्नाश्य भी सम्भल जाएगा।
Some will get the shakes if they skip meals .
क्या आप जानते हैं -अग्नाश्य के स्वास्थ्य को कुछ किण्वक
या एंजाइम बचाये रह सकते हैं ?
कुदरती खाना (तमाम किस्म के भोज्य पदार्थ )इन एन्जाइज़ों के ढ़ेर के ढ़ेर लिए रहते हैं। ये कैंची है खाद्य को कतरने की। खाद्य टूट जाएगा अपने सरलतम रूपों में।
लिटमस पेपर टेस्ट है यह -वह खाना जल्दी सड़ेगा नहीं दीर्घावधि में भी ,जिसमें एन्जाइम्स का स्तर निम्तर बना होगा।
लेकिन एन्जाइम्स से भरपूर खाने की भंडारण अवधि ,सेल्फ- लाइफ कमतर होगी। परिष्कृत - प्रसंस्करित ,संशाधित खाद्यों में एंजाइम तकरीबन -तकरीबन नष्ट ही हो जाते है।
ओवर कुक्ड और माइक्रोवेव्ड किए खाने के साथ भी यही होता है -एन्जाइम्स नदारद हो जाते हैं खाद्यों में से। उन्हें उनकी प्राकृत अवस्था में ही परम्परागत तरीके से पका बनाकर खाइये।
बड़े एहम हैं एंजाइम हमारे भोजन के लिए। इनके अभाव में अग्नाश्य पर क्या गुज़रती होगी ये आप नहीं जानते हैं।
संदर्भ -सामिग्री :माननीया शाइरी याले जी के साथ एक लम्बी बातचीत पर आधारित है यह आलेख। आप नामचीन काइरोप्रेक्टर हैं। डीसी का मतलब यहां डॉक्टर आफ काइरोप्रेक्टिक है।
Dr Sherry Yale ,DC is the owner of TLC Holistic Wellness .She lives in Livonia ,MI 48 150 phone :734 664 0339
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