फिर दूर से आवाज़ दे गया कोई
सुबह सवेरे एक बचपन के साथी का फोन आया। पता चला बेबी भाई थे। यह भी के शकीला बेगम का फोन उनके पास आया था। बेहद याद कर रहीं थीं अपने खाविंद महरूम मुबीन भाई को। मुबीन हमारे तमाम बचपन के दोस्तों में एक कॉमन सर्व-सहमत नाम रहा है।
मुबीन शब्द का अर्थ होता है :
- स्पष्ट, व्यक्त, वाजेह, साफ़, खुला हुआ, प्रकट
- सचमुच ज़िंदादिली की मिसाल एक खुली किताब थे मुबीन भाई यारों के यार ,यारी से काम। शैर ओ शाइरी का शौक़ उन दिनों खूब परवान चढ़ता था। रज़िया मंज़िल में अज़ीमतर शायर उस दौर में मिलें जबकि हमें शायरी का मुशायरे के मानी भी कहाँ मालूम थे।
- शकीला बेगम को मैंने तुरत फुरत फोन लगाया।
- ये क्या जीवन को दोहराते -दोहराते सिसकने लगीं मुबीन भाई को याद करके।
- आती थी कहकहों की सदा दूर से ,
- जाकर करीब देखा तो आंसू रवाँ थे।
- बस बातों ही बातों में बचपन के झरोखे खुले शैर और शायरी का सिलसिला बह निकला -"ये डायरी मुबीन भाई की है। बेगम भी उन जैसी ही हैं उर्दू अदबीयत का बेहतरीन तोहफा। अदायगी बे -मिसाल फख्र से उन्होंने बतलाया दसवीं ज़बान तक मेरे पास उर्दू थी।"
- चंद शैर उनके सौजन्य से मिलें हैं -हमारे लिए ताज़ातरीन -
- ऐसी वैसी बातों से तो अच्छा है खामोश रहो ,
- या फिर ऐसी बात करो ,जो खामोशी से अच्छी हो।
- तुम आसमान की बुलंदियों से जल्द लौट आओ ,
- हमें ज़मीं के मसाइल पे बात करनी है।
- मुबीन भाई से सुना एक और शैर पढ़ा उन्होंने -
लब खोलके कुछ भी न कह पाई ज़िंदगी ,
खामोश रहके मौत ने सब कुछ सुना दिया।
दिल से निकली हुई हर बात ,असर रखती है ,
"पर "नहीं परवाज़ की ताकत रखती है।
विशेष :पर यानी पंख उड़ने को ,परवाज़ यानी उड़ान।
मुबीन भाई के घर "रज़िया मंज़िल "में एक दीवान जी आते थे बुगरासी वाले सफ़ेद दाढ़ी लंबा कद खूबसूरत अदाकारी पास बिठलाकर आम खिलाते आम से ज्यादा रसीले शैर सुनाते। मैं नौवीं कक्षा का छात्र रहा होवुंगा उस दौर में। कंठस्थ है उनका पढ़ा हुआ हर शैर हालांकि तब शैर और शायरी की गहराई से वाकिफ कहाँ थे।
रटा हुआ भी खूब काम आता है साहब ।हम तो एमएससी कर गए रटते -रटते। आज भी चंद शैर याद है उस दौर के -
अंदाज़ हू - ब- हू तेरी आवाज़े पॉ था ,
बाहर निकलके देखा तो झौंका हवा का था।
एक और शैर को तवज़्ज़ो दीजिए -
ये कहते ,वो कहते ,जो यार आता ,
भई!सब कहने की बातें हैं ,
कुछ भी ना कहा जाता ,
जब यार आता।
मुआफ करें ,आज मिलते बाद में हैं ,पहले प्रोपोज़ कर देते हैं -आई लव यु।
अंदाज़े ज़िंदगी अब कुछ तरह इस से है -
कुछ लोग इस तरह ज़िंदगानी के सफर में हैं ,
दिन रात चल रहे हैं मगर घर के घर में हैं।
वीरुभाई !
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