अलबत्ता फैसले में कुछ तकनीकी अशुद्धियाँ रह गईं हैं जो आज कल में ही ठीक हो जाएंगी जिनका खरीद -फरोख्त की प्रक्रिया से कोई लेना देना नहीं है इसके बाद भी ये और इनके कई माउथ पीस खड़गे जेपीसी का राग अलाप रहे हैं। जेपीसी कोई लेखा समिति के अध्यक्ष का निर्णय नहीं होता है संसद के दोनों सदनों में विमर्श के बाद इसका फैसला होता है। महान्यायवादी और महालेखाकार को आप किस बिना पर बुलाने का अनर्गल प्रलाप कर रहें हैं जबकि कोई रिपोर्ट उन्होंने संसद को इस बाबत अभी सौंपी ही नहीं है वह रिपोर्ट पहले पूरी संसद देखेगी तब संसदीय लेखा समिति तक पहुंचेगी।
बड़े ज़हीन लोग हैं ये राहुल दत्तात्रेय और इनके चिरकुट न संसद में बहस को तैयार है न कचहरी में जाते हैं गली कूचौं में भौं भौं करते घूम रहे हैं। बन्दूक चलाने के लिए कंधे ढूंढ रहे हैं। राफेल को बोफोर्स बनाने का ख़ाब देख रहे हैं।एक एक करके सब इस मामले से दूर छिटक लेंगे,शुरुआत हो चुकी है।
जैश्रीकृष्णा !
शीर्षक :राफ़ेल को बोफोर्स बनाने की नाकामयाब कोशिश अहंकारी बाबा राहुल दत्तात्रेय की
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