बुधवार, 26 सितंबर 2018

महाभारत का शिशुपाल और राहुल

महाभारत का शिशुपाल और राहुल 

राहुल का लगता है ,कोई सही अर्थों में हितेषी ही नहीं है। सब चाहते हैं इनका (भारतीय राजनीति के राहु) का सर फट जाए। पहले इनके हितेषियों ने इनसे कहलवाया -देश का चौकीदार चोर है अब कहलवा  रहें हैं :कमांडर इन थीफ। 

कृष्ण ने शिशुपाल को सौ बार माफ़ कर दिया था। वह उनके भांजे थे।बहन को दिए वचन के अनुसार  सौ बार तक माफ़ करने के लिए वह प्रतिबद्ध थे। एक सौ -एक -वीं मर्तबा जब शिशुपाल ने राहुल की तरह फिर बद-खेली की ,बदजुबानी की  कृष्ण के साथ तब कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से उनका सर उड़ा दिया। 

कृष्ण की खामोशी को राहुल तौल नहीं पा रहे हैं। गोयलबल्स भी स्वयं अपने से हार गया था। कमसे कम उनकी माँ को चाहिए वह अपने बेटे को शिशुपाल होने से रोकें ताकि वह कांग्रेस अध्यक्ष बनने के साथ -साथ देश के प्रधानमन्त्री भी बन सकें हम भी यही चाहतें हैं। 
इस देश का इतिहास  साक्षी है जीत हमेशा से सत्य की ही हुई  है। शिशुपाल हर बार मारा गया है। भगवान इनके  कूकरों को भी  सबुद्धि दे जो नेहरुपंथी अवशेषी  कांग्रेस के चारण भाट और चिरकुट कहलाते हैं।  
आखिर प्रधानमन्त्री का पद एक संविधानिक पद है जिन्होनें देश विदेश में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाई  है।
हम बात प्रधानमन्त्री नरेंद्र दामोदर मोदी की कर रहें हैं 'मोदी 'की नहीं। 

https://www.youtube.com/watch?v=RXeEa6uvv68

मंगलवार, 11 सितंबर 2018

ऐश्वर्य लोभान्मोहाद् वागच्छेद यानेन यो नरः। निष्फलं तस्य तत्तीर्थ तस्माद्यान विवर्जयेत्। (मतस्य पुराण) तीर्थयात्रा में वाहन/यान वर्जित है क्योंकि ऐश्वर्य के गर्व से, मोह से या लोभ से जो यान पर बैठकर तीर्थयात्रा करता है, उसकी तीर्थ यात्रा निष्फल हो जाती है। राहुल गांधी ने अपनी तीर्थयात्रा के बारे में सच बोला या झूठ बोला आने वाले समय में उनको मिलने वाले भगवान महादेव के आशीर्वाद से खुद ही स्पष्ट हो जाएगा।

ऐश्वर्य लोभान्मोहाद् वागच्छेद यानेन यो नरः।
निष्फलं तस्य तत्तीर्थ तस्माद्यान विवर्जयेत्। (मतस्य पुराण)
तीर्थयात्रा में वाहन/यान वर्जित है क्योंकि ऐश्वर्य के गर्व से, मोह से या लोभ से जो यान पर बैठकर तीर्थयात्रा करता है, उसकी तीर्थ यात्रा निष्फल हो जाती है। राहुल गांधी ने अपनी तीर्थयात्रा के बारे में सच बोला या झूठ बोला आने वाले समय में उनको मिलने वाले भगवान महादेव के आशीर्वाद से खुद ही स्पष्ट हो जाएगा।
कांग्रेस का हाथ अब भोले के साथ। 
राहुल बाबा की कैलाश मानसरोवर यात्रा को लेकर लोग जुगाली कर रहें हैं बहरहाल इस सारे सिलसिले से सुरजेवाला बहुत दुःखी  हैं।राहुल नेपाल होकर वाया ल्हासा मानसरोवर पहुंचे चीन की मेहमान नवाज़ी पर। लेकिन नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर ट्रस्ट के प्रबंधकों ने उन्हें हिन्दू मानने से इंकार कर दिया। कांग्रेस अब नेपाल को साम्प्रादायिक देश कह सकती है कह यह भी शक्ति है यह सब कुछ मोदी के इशारे पर हुआ है। 
"राहुल बाबा को जनेऊ पहनकर जाना चाहिए था" सुरजेवाला  मन ही मन सोच रहें होंगें। लाल अंडरवीअर ही पहन जाते तो सुरजेवाला उन्हें हनुमान भक्त घोषित करवा देते। 
अब कौन सा वाहन उन्होंने इस यात्रा में कब कब इस्तेमाल किया इस बारे में कई कयास आ रहें हैं। चीनी हेलीकॉप्टर ,चीनी सेना का विशेष ट्रक ,अन्य कोई सड़क वाहन ?
लोग कह रहे हैं भाई साहब आपके चहरे पर सन बर्न क्यों नहीं हैं इतनी ऊंचाई पर सूरज बड़ा प्रचंड होता है गोरों पर उसकी विशेष कृपा रहती है राहुल कैसे बच गए ?और ३४ दिनी यात्रा आपने दस दिन में कैसे संपन्न कर ली। 
भाईसाहब राहुल -बाबा ,राहुल हैं। नेहरुपंथी अवशेषी कांग्रेस की जान हैं। वह कोई भी करिश्मा दिखला सकते हैं दस दिन क्या यात्रा ढाई दिन में भी कैलाश की  संपन्न कर सकते हैं।
हद तो ये है लोग उनके खानपान पर भी उंगलियां उठा रहें हैं :नेपाल के फलां होटल में उन्होंने पोर्क खाया या बीफ उनका व्यक्तिगत मामला है। आखिर भारत भ्रमण के बाद कैलाश कौन सा दूर था उनके लिए ये गया और वो आया बाबा राहुल। 
 तीरथि नावा जे तिसु  भावा विणु भाणे कि नाइ करी। 
जेती सिरठि उपाई वेखा विणु करमा कि मिलै लई || 
लोग तीर्थादि नहाने की बात करते हैं ,गुरु नानक कहते हैं -परमेश्वर को स्वीकार हो  तभी तीर्थ -स्नानादि सम्भव है, और यदि स्वीकृति के बिना तीर्थ कर भी लें तो उसका क्या लाभ होगा। 
गुरुनानक देव ये भी कहते हैं -
सोचै सोचि न होवई जे सोची लखवार ,
चुपै चुप न होवई जे लाइ रहा लिवतार। 

यहां गुरुनानक देव तीर्थ स्नान आदि की निरर्थकता की और संकेत करते हैं तीर्थ स्नान द्वारा कोई पवित्र नहीं हो सकता। चाहे कोई लाख तीरथ नहा ले। जब तक मन का मुंह बंद नहीं होता मन की दौड़ बंद नहीं होती मौन बैठकर ध्यान लगाने से कुछ भी हासिल नहीं होता। मन का भांडा साफ़ हो तभी मन टिकता है। तभी वह गुरु से  जुड़ता है।नाम जप से मन का भांडा साफ़ होता है। बाहरी आडंबर पूर्ण यात्राओं से नहीं।  
अब लोग कह रहें हैं राहुल वहां जाकर नहाये नहीं , नहाना न नहाना आदमी का वैयक्तिक मामला है।हाँ अलबत्ता सवाल उनसे ये पूछा जा सकता है उनके मन से वहां 'मोदी ' निकला या नहीं। ईर्ष्या तो बकौल उनके उनका साथ छोड़ गई थी। पावित्र्य का साम्राज्य उन्हें कैलाश परिसर में दिखलाई दिया। लेकिन मोदी का क्या हुआ ? 







शनिवार, 8 सितंबर 2018

Digital world today :A reaction to Dr .Arvind Mishra Wall Post (HINDI )

एक प्रतिक्रिया परमादरणीय भाई डॉ। अरविन्द मिश्र जी की वाल पोस्ट पर :

डिजिटल मीडिया ने और कुछ किया हो या नहीं लेखकीय संभावनाओं को बढ़ा दिया है और मज़ेदार बात ये है बिना  स्याही दवात कलम के लिखा जा रहा है। कागद कारे नहीं करने पड़ते। 

बस इतना भर हुआ है, अब नौनिहालों का पालक ये डिजिटल -जगत बन गया है। वास्तविक 'आभासी' और 'आभासी' वास्तविक हो गया है।रोल बदले हैं जीवन के आयाम वही हैं। 

जैसे आस्तिक नास्तिक और नास्तिक आस्तिक हो जाए। 

 सचमुच दूर के ढ़ोल सुहावने होते हैं। भूले बिसरे गीतों की तरह गुज़िस्तान दिनों के लोग फेसबुक पर मिल रहें हैं वे जो याद के पटल से बाहर ही रहे आये थे बरसों बरस। 

अतीत की यादों को ताज़ा कर रहा है आभासी जगत। और नौनिहालों की स्किल को पैना भी बना रहा है। सब कुछ  सिखा  रहा है आभासी जगत। 


 आप मृत्यु के नजदीक पहुँच चुके अपनों को हिन्दुस्तान या अन्यत्र रहते न देख सकें लेकिन वाट्सअप आपको दिखला देगा। आपके अपने वेंटिलेटर पर हैं हज़ारों हज़ार मील दूर आपसे फिर भी इतना करीब। 

ऑरकुट चुका नहीं हैं रूप बदल के आता  रहता है। 

कहते थे मौखिक संचार संचार का तीव्रतम ज़रिया है आज सोशल मीडिया आपकी रेकी करता है। आपके  किस्से, आप किस-किससे मिलते हैं उछालता है। 

पाकिस्तान की किसी अदाकारा को आप दिल दे सकते हैं। अपनी को एल्प्रेक्स देकर सुला सकते हैं।  

आपका मामूली प्रेम आलमी हो गया है आलमी बोले तो वैश्विक भूमंडलीय ग्लोबल। 

 पत्रमित्र फेसबुकिया मित्र बन बैठा है। इसे आप रु -ब -रु  देख भी सकते हैं बतिया भी सकते हैं आप मुख -चिठिया ,मुख -पुस्तकिया मित्र से ।

आभासी जगत बहुरंगी खुशहाल तमाम ग्लेमर से भरपूर दिखाई  देता है ,हमारे असल संबंधों की रिश्तों की हकीकी जीवन में आंच मलिन हुई है बुझती सी दिखे है कहीं कहीं ,इसका एहसास आपको बहुत गहरे इस हरयाणवी रागिनी को सुनके होने लगेगा। 






हरयाणा की छात्राओं को इस गाने के लिए मिले 1लाख रूपये : उड़ जा काले से काग - Haryanvi...

(ज़ारी ) 

पढ़िए अरविन्द जी की पोस्ट अपने मूल रूप में :



हम किस तरह डिजिटल दुनियां में मुब्तिला हो चुके हैं इसकी एक बानगी देखिये -
आज सुबह मोबाइल खोलते ही ह्वाटसअप पर एक सांप 🐍 का चित्र उभरा। खबर अपने गांव क्या, सामने पड़ोस के घर में सांप का था। यह बेहद विषैला सांप करईत था जिसका फन कुचला हुआ था। बड़ा सा एडल्ट सांप था। किसी को काटता तो उचित उपचार के अभाव में सुबह का सूरज न देख पाता। चूंकि बेहद जहरीला सांप था, मारना उचित था।
मगर जो बात आश्चर्यजनक थी वह यह रही कि किसी को भी कानोकान खबर नहीं। जबकि पहले सांप निकलने पर कस्बा कुनबा क्या पूरे गांव में हल्ला मच जाता था। भीड़ जुट जाती थी। मगर धन्य रे सोशल मीडिया, इतनी बड़ी घटना से आस पड़ोस तक को भी बेखबर कर गया।
यह दृष्टांत बता रहा है कि किस कदर हम आभासी दुनिया के बाशिन्दे बनते जा रहे हैं। वास्तविक भौतिक जगत से तेजी सै पलायन चल रहा है। हम आभासी जगत में तो मौजूद हैं मगर असली दुनिया में वजूद खारिज है।
आभासी सोशल मीडिया मनुष्य मात्र के बात - व्यवहार और आपसी रिश्तों - सम्बन्ध का एक नया युग रच रहा है। यह निकट नहीं दूर के सम्पर्क को नजदीक ला रहा है। यह वास्तविक दुनिया की कशमकश और अहसासों से पृथक जमीन तलाश रहा है। यह जीवित सच्चाइयों से दूर बुला रहा है। धरती का जीवन अब रास नही आ रहा। वायवीयता लुभा रही है।
कहीं निकट भविष्य में ही न हमारे सारे बात व्यवहार डिजिटल दुनियां में ही न स्थापित हो लें। सारा कार्य व्यापार वहीं हो इस बोझिल सी ज़िन्दगी से हम सदा के लिए नदारद हो जांय। वहीं मिले जुलें, बोले बतियायें, घनिष्ठ भी हो लें और सहजता तथा सेफ्टी से दूर भी हट लें। निरापद तरीके से बिना कोई खतरा उठाये। यहां की असली दुनियां में तो घनिष्ठता टूटने पर जान पर बन आती है कभी कभी। मगर आभासी जगत सेफ है।
पड़ोस में सांप निकलने को तत्क्षण सोशल मीडिया ने कवर कर लिया और चन्द फीट की ही दूरी पर रहे हम बेखबर हो रहे।